Thursday, January 4, 2018

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में नदी जल बंटवारा भी एक मुद्दा


शेष नारायण सिंह 

बंगलूरू, ३० दिसंबर. कर्णाटक में चुनाव में जातियां प्रमुख भूमिका निभाती हैं ,लेकिन इस बार  गोवा और कर्नाटक के बीच में महादायी नदी के पानी के बंटवारे को मुख्यमंत्री सिद्दिरमैया ने बड़ा मुद्दा बना दिया है . राज्य के पांच उत्तरी  जिलों में यह विवाद राजनीति का मुख्य मुद्दा है . गदग,धारवाड़ बेलगावी ,हावेरी,और बागलकोट जिलों की पानी की ज़रूरत को पूरा करने में महादायी नदी का बड़ा योगदान है .इन राज्यों में बाक़ायदा बंद का नारा दिया गया ज बहुत ही सफल रहा . गोवा सरकार और उसके मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर के खिलाफ हुए इस बंद में किसान संगठनों की मुख्य भूमिका थी लेकिन फिल्म उद्योग सहित और भी कई संगठनों ने बंद का समर्थन किया .

महादायी नदी को  गोवा में मंडोवी नदी कहते हैं . दोनों राज्यों के बीच तीस साल से पानी के बंटवारे के बारे में विवाद चल रहा है . बात बहुत बढ़ गयी जब २००२ में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री एस एम कृष्णा ने महादायी की दो सहायक  नदियों पर बाँध बना कर सूखा प्रभावित उत्तर कर्नाटक के जिलों के लिए पानी का इंतज़ाम करने के लिए बाँध बनाने का फैसला किया . केंद्र की अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने मंजूरी भी दे दी लेकिन गोवा के मुख्यमंत्री ने अडंगा लगा दिया . मनोहर पर्रीकर ही तब भी मुख्यमंत्री थे.

कर्णाटक के मुख्यमंत्री सिद्दिरमैया ने आरोप लगाया है कि गोवा के भाजपाई मुख्यमंत्री पानी नहीं दे रहे हैं और राज्य के बीजेपी नेता कुछ भी नहीं कर रहे हैं . उनका आरोप  है कि पानी की कमी के लिए बीजेपी ही ज़िम्मेदार है. उत्तर कर्णाटक में चल  रहे आन्दोलन के नेता भी मुख्यमंत्री की बात को सही मान रहे  हैं .वे भी बीजेपी के कर्णाटक अध्यक्ष बी एस येदुरप्पा को ही सारी मुसीबत के लिए ज़िम्मेदार साबित करने की कोशिश का रहे हैं .येदुरप्पा के नाम गोवा के मुख्यमंत्री ने एक चिट्ठी भी लिख दी है लेकिन आन्दोलन कारी कहते हैं कि किसी पार्टी नहीं राज्य सरकार के पास चिट्ठी आनी चाहिए थी. चुनाव नतीजों पर महादायी नदी का पानी एक अहम भूमिका निभाने वाला है . आज बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह बेंगलूरू पंहुच रहे हैं उनका राज्य के नेताओं से बेंगलूरू में मिलकर चुनाव की तैयारी की समीक्षा की योजना है. दस जनवरी से वे यहाँ सघन अभियान चलाने वाले हैं.  अमित शाह चुनाव जीतने की कला  के ज्ञाता हैं . चर्चा यह भी है कि क्या वे गुजरात की तरह वे कर्णाटक में भी जीत दर्ज कर  पाते हैं कि नहीं .

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